आज प्लेटफार्म पर खडी थी
अचानक पता लगा
गाड़ी दूसरे प्लेटफार्म पर आने वाली है
सीढियाँ चढ़नी और उतरनी पड़ी
गाड़ी आई पर भीड़
किसी तरह अंदर धक्का मुक्की खाते पहुंची
खडी रही
सब सीट भरी थी
कुछ समय बाद एक सीट खाली हुई
बैठी तब राहत मिली
स्टेशन आया
फिर उतरने की जद्दोजहद
बाहर निकल कर
बस और रिक्शे की परेशानी
अंत मे पहुंच गए
जहाँ जाना था
सहेलियों के साथ पिकनिक थी
सब रमणीय स्थल देखा
मौज मजा किया
फिर थक कर घर वापसी
पर पिकनिक का आनंद तो था
उसके सामने ट्रेन और यात्रा की जद्दोजहद
याद ही न रहा
लगा जीवन भी यही है
हम कुछ पाने के लिए
कुछ बनने के लिए
कितना संघर्ष करते हैं
जब मुकाम हासिल हो जाता है
तब वह संघर्ष याद ही नहीं रहता
बस खुशी रहती है
जबकि हर समय जद्दोजहद करना पडा
यही तो बात है
कि मुश्किलों मे भी मुस्कराते हैं
प्रयत्न करता ही रहते हैं
मंजिल जो पाना है
मंजिल इतनी आसानी से नहीं मिलती।
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment