मनमोहन सिंह विशाल और महान भारत के प्रधानमंत्री
देश के इस पद पर कार्य करने का सौभाग्य उन्हें दो बार मिला
वे दस वर्षों तक इस पद पर विराजमान रहे
उन्होंने अपना कार्यभार भी बखूबी संभाला
वे भारत ही नहीं विश्व के माने हुए अर्थशास्त्री भी हैं
नीली पगड़ी धारी वाला यह सौभ्य सरदार पर शक की गुंजाइश ही नहीं है
उनकी योग्यता पर सवाल तो उठाया ही नहीं जा सकता
हाँ ,प्रधानमंत्री पद उन्हें मिला
कांग्रेस और सोनिया गांधी का फैसला था
यह शायद उनकी ईमानदारी और निष्ठा का परिणाम था
वह धीमे बोलने वाले व्यक्ति हैं
वाचाल नहीं हैं
इसका यह मतलब तो नहीं
वे कठपुतली थे
उन्हें शिखंडी भी कहा गया
पर कहीं से भी कोई उन्हें अयोग्य सिद्ध नहीं कर पाया
विश्व मे उनका सम्मान है
यहाँ तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के मन मे भी उनके लिए काफी सम्मान था
वह कुछ अवसरों पर दिखा भी है
एक्सिडेंटल ही सही हर कोई तो हर जिम्मेदारी नहीं निभा सकता
भारत जैसा विशाल देश चलाना आसान तो नहीं
उग्र और कठोर वचन और दमदार भाषण करनेवाले वे नेता भले न हो
पर काबिल तो थे ही
जब पूरा विश्व मंदी से गुजर रहा था
उस समय भी भारत की अर्थ व्यवस्था पटरी पर थी
इस महान शख्सियत की नकल करना
उनका अभिनय करना
माखौल उड़ाना
यह सब तो कोई भी अभिनेता या मसखरा कर सकता है पर यह उचित है क्या
विश्व पटल पर भारत के प्रधानमंत्री की क्या छबि दिखेगी
आनेवाला इतिहास क्या कहेगा
आने वाली पीढी पर क्या असर होगा
मजबूत भारत का प्रधानमंत्री कमजोर
यह बात तो कहीं से भी मेल नहीं खाती
वे एक्सिडेंटल प्रधानमंत्री नहीं
एक योग्य प्रधानमंत्री थे
जिसने दस सालों तक देश का नेतृत्व किया
कार्यभार संभाला
इससे पहले भी अनेक बड़े पद उन्होंने संभाला था
वे आदर के पात्र
व्यक्ति के रूप मे
प्रधानमंत्री के रूप मे भी
यह सरदार ऐसा -वैसा नहीं
सरदारों का सरदार है
यह साबित भी कर दिखाया है
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