♨️🔥♨️🔥♨️🔥
🔥मृत्यु के बाद क्या होता है❓
🌿📙श्रीमद भागवत गीता📙🌿
भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को गीता का ज्ञान दे रहे हैं। अर्जुन पूछता है – हे त्रिलोकीनाथ! आप आवागमन अर्थात पुनर्जन्म के बारे में कह रहे हैं, इस सम्बन्ध में मेरा ज्ञान पूर्ण नहीं है। यदि आप पुनर्जन्म की व्याख्या करें तो कृपा होगी।
🔥🔥
कृष्ण बताते हैं – इस सृष्टि के प्राणियों को मृत्यु के पश्चात् अपने-अपने कर्मों के अनुसार पहले तो उन्हें परलोक में जाकर कुछ समय बिताना होता है जहाँ वो पिछले जन्मों में किये हुए पुण्यकर्मों अथवा पापकर्म का फल भोगते हैं। फिर जब उनके पुण्यों और पापों के अनुसार सुख दुःख को भोगने का हिसाब खत्म हो जाता है तब वो इस मृत्युलोक में फिर से जन्म लेते हैं। इस मृत्युलोक को कर्मलोक भी कहा जाता है। क्योंकि इसी लोक में प्राणी को वो कर्म करने का अधिकार है जिससे उसकी प्रारब्ध बनती है।
🔥🔥
अर्जुन पूछते हैं – हे केशव! हमारी धरती को मृत्युलोक क्यों कहा जाता है?
🔥🔥
कृष्ण बताते हैं – क्योंकि हे अर्जुन, केवल इसी धरती पर ही प्राणी जन्म और मृत्यु की पीड़ा सहते हैं।
🔥🔥
अर्जुन पूछता है – अर्थात दूसरे लोकों में प्राणी का जन्म और मृत्यु नहीं होती?
🔥🔥
कृष्ण बताते हैं – नहीं अर्जुन! उन लोकों में न प्राणी का जन्म होता है और न मृत्यु। क्योंकि मैंने तुम्हें पहले ही बताया था कि मृत्यु केवल शरीर की होती है, आत्मा की नहीं। आत्मा तो न जन्म लेती है और न मरती है।
🔥🔥
अर्जुन फिर पूछते हैं – तुमने तो ये भी कहा था कि आत्मा को सुख-दुःख भी नहीं होते। परन्तु अब ये कह रहे हो कि मृत्यु के पश्चात आत्मा को सुख भोगने के लिए स्वर्ग आदि में अथवा दुःख भोगने के लिए नरक आदि में जाना पड़ता है। तुम्हारा मतलब ये है कि आत्मा को केवल पृथ्वी पर ही सुख दुःख नहीं होते, स्वर्ग अथवा नरक में आत्मा को सुख या दुःख भोगने पड़ते हैं।
🔥🔥
कृष्ण बताते हैं – नहीं अर्जुन! आत्मा को कहीं, किसी भी स्थान पर या किसी काल में भी सुख दुःख छू नहीं सकते। क्योंकि आत्मा तो मुझ अविनाशी परमेश्वर का ही प्रकाश रूप है। हे अर्जुन! मैं माया के आधीन नहीं, बल्कि माया मेरे आधीन है और सुख दुःख तो माया की रचना है। इसलिए जब माया मुझे अपने घेरे में नहीं ले सकती तो माया के रचे हुए सुख और दुःख मुझे कैसे छू सकते हैं। सुख दुःख तो केवल शरीर के भोग हैं, आत्मा के नहीं।
🔥🔥
अर्जुन कहता है – हे केशव! लगता है कि तुम मुझे शब्दों के मायाजाल में भ्रमा रहे हो। मान लिया कि सुख दुःख केवल शरीर के भोग हैं, आत्मा इनसे अलिप्त है। फिर जो शरीर उनको भोगता है उसकी तो मृत्यु हो जाती है। वो शरीर तो आगे नहीं जाता, फिर स्वर्ग अथवा नरक में सुख दुःख को भोगने कौन जाता है?
➖➖➖➖✍️✍️
♨️🔥♨️🔥♨️🔥♨️ COPY PEST
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment