Monday, 10 December 2018

प्रकृति चक्र

सांझ गहरा रही
धुंद छा रही
अंधकार आगे बढ़ रहा
नीरवता छा रही
शीतलता महसूस हो रही
धीरे धीरे अंधकार का प्रभुत्व बढ़  रहा
कुछ समय मे सब पर छा जाएगा
शिथिलता बढ़ जाएगी
लोग नींद की आगोश मे चले.जाएंगे
सुबह तक जब तक प्रकाश का आगमन नहीं
जैसे ही प्रकाश का प्रभुत्व छाने लगेगा
सब फिर चैतन्य हो उठेंगे
हर जीव
पशु पक्षी से लेकर सामान्य मानव
रात के बाद दिन
दिन के बाद रात
यह चक्र अनवरत जारी है
कभी इसमें हेरफेर नहीं
हाँ ग्रहण के समय आभास होता है
या शीतलहर जब चलती है
या घनघोर घटा जब छा जाती है
पर वह.स्थायी नहीं
वह भ्रम होता है
भ्रम मे तो जी नहीं सकते
सत्य की सत्ता को स्वीकार करना ही है
आप.चाहे या न चाहे

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