जीवन यह विधाता का लिखित विधान
यह उनका बही खाते का पन्ना
रिक्त तो रिक्त
भरा तो अच्छा
अंतिम पन्ना मृत्यु तो पहला पन्ना जन्म
बीच वाला पन्ना तो हमें ही भरना
क्योंकि वह हमारे कर्म का है गलतियों को टालना है
कोई भी पन्ना बेकार नहीं करना
गलती हो भी गई
तो फाडकर फेंकना तो बिलकुल नही
इसी कारण तो हमें आगे का जीवन जीना सीखना है
नाते रिश्तों को निभाने का अपना ही आनंद
जीवन को कारीगर की तरह हर.धागे को बुनने मे मजा
एक दूसरे के सुर मे सुर मिलाने मे मजा
आते समय भले अकेले आए थे
जाते समय सबका होकर जाने का आनंद कुछ और
आए थे रोते हुए
जाते समय हर आँख नम कर जाय
भाग्य कोई और नहीं लिखता
हमारा भाग्य हमारे ही हाथों लिखा जाना है
जाते हुए भी खाली हाथ ही जाना है
यह जन्म -मृत्यु के बीच का वह पन्ना है जिसे हमें ही भरना है
हम तो परीक्षार्थी है
परीक्षक तो वही है
लेखा जोखा करना
अंक देना उसके हाथ
संपूर्ण आयुष्य का यही सार
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