चलते रहो चलते रहो
मां के गर्भ से ही सिलसिला शुरू
अंदर से पैर मारा
बाहर निकलते ही हाथ पैर चलाना शुरू
कुछ महीनों बाद.खडे होने की कोशिश
गिरे फिर खडे हुए फिर गिरे फिर संभले
एक बार जो चलना शुरू किया
तब फिर कहीं रूके भी नहीं
बचपन से लेकर
उम्र के हर पडाव पर
वृद्धावस्था आ गई
अब फिर ठिठक ठिठक कर
काठी पकड़ चल रहे हैं
यह चलना अनवरत जारी है
बिना चले कुछ हासिल नहीं
जब तक जीवन है
बस चलते रहो
चरैवति चरैवति
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