Thursday, 6 December 2018

चलते रहो

चलते रहो चलते रहो
मां के गर्भ से ही सिलसिला शुरू
अंदर से पैर मारा
बाहर निकलते ही हाथ पैर चलाना शुरू
कुछ महीनों बाद.खडे होने की कोशिश
गिरे फिर खडे हुए फिर गिरे फिर संभले
एक बार जो चलना शुरू किया
तब फिर कहीं रूके भी नहीं
बचपन से लेकर
उम्र के हर पडाव पर
वृद्धावस्था आ गई
अब फिर ठिठक ठिठक कर
काठी पकड़ चल रहे हैं
यह चलना अनवरत जारी है
बिना चले कुछ हासिल नहीं
जब तक जीवन है
बस चलते रहो
चरैवति चरैवति

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