खिड़की खुली है
हर आते जाते की ताक झांक
ग्राउंड फ्लोर जो है
अगर ऊपर का फ्लोर होता तो
हर वक्त बंद रखना पड़ता है
घुटन भी होती है
सो कभी कभार खोल देते हैं
फिर परदा लगा देते हैं
पर कितनी देर
बाहर से तो कट नहीं सकते
सूरज के प्रकाश को आने देना ही होगा
बाहर का नजारा भी तो देखना है
फिर वही सिलसिला शुरू
तब क्यों नहीं ऊपर का फ्लोर लिया जाय
वहाँ कोई पहुंचेगा नहीं
जितना ऊंचाई पर जाएंगे
उतना ही लोगों का मुख बंद
अगर ताक झाक की कोशिश भी की तो
आप पर कोई असर नहीं
जीवन को उस ऊंचाई पर ले जाना है
सबकी बोलती बंद करना है
किसी की दखलअंदाजी को नहीं स्वीकृति
किसी को इजाजत नहीं
ताक झांक की
खिड़की की ऊंचाई बढ़ाना है
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