कहानियां हम सुनते आ रहे हैं
बरसो की कहानियां
हर कहानी की अपनी पहचान
राजा रानी से दास दासी
तोता मैना से हीर रांझा
यह हमें अपने उस लोक मे ले जाती हैं
जहाँ कभी यह जन्मी थी
इसका जन्मदाता इंसान हैं
दादी से नानी से सुनी
किताबों मे पढ़ी
कभी हंसे कभी रोए
कभी उदास तो कभी आगबबूला
यह हमें अपने लोक मे ले जाती हैं
विचरण कराती है
जीवन यह भी है
यह समझाती है
पशु पक्षी. पेड़ पौधे
सबसे जुड़ी
हर कोई इनका पात्र
यह अपने माध्यम से अतीत का दर्शन करवाती
उनका जीवनदर्शन समझाती
हम भी उसमें खो गोते लगाते
यह भूल जाते
हम भी एक कहानी है
हम रोज कहानी बनाते हैं
उसे गढ़ते हैं
नये नये रूप देते हैं
लोग हमारी भी कहानी बनाते हैं
उसको चटखारे ले सुनाते हैं
थोडा सच थोड़ा कल्पना
यह मानव स्वभाव है
कहानी गढ़ना
अपनी भी औरों की भी
और यह तब तक
जब तक संसार
पीढ़ी दर पीढ़ी
इसका अनंत विश्व
वह चलता रहेगा
यह मायाजाल है या हकीकत
पर जिंदगी बिना कहानी अधूरी
क्योंकि कहानी जिंदगी से जुड़ी है
जब तक जिंदगी तब तक उसकी कहानी
जिंदगी के साथ भी
जिंदगी के बाद भी
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