उपहार मिलता है
बहुत खुश होता है इंसान
प्रयत्न करता है
हम भी इसके एवज मे कुछ देंगे
उपहार का मूल्य नहीं
उसके प्रेम का मूल्यांकन
द्वारकाधीश कृष्ण को सुदामा का चावल भी खूब सुहाया
बदले मे सुदामापुरी बना दी
यह देना और लेना
इसी मे सारा संसार समाया
जो भी दिया जाएगा
वह दूगुना हो मिलेगा
तब क्यों नहीं ???
सम्मान के बदले सम्मान
प्यार के बदले प्यार पाया जाय
यह जीवन ही उपहार है
खुशी बांटे
स्वयं भी खुश
और लोग भी खुश
खुशियों की खुशबू से महकाए जग सारा।
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