रात्रि की नीरवता
सब शांत
कहीं आवाज नहीं
हवा चले
पत्ता खडके
उसकी भी ध्वनि
यही ध्वनि दिन मे महसूस नहीं
आवाज ही आवाज
गाड़ी या पदचाप
यहाँ तक कि बातचीत भी
सब शोरगुल मे गुम
रात्रि एहसास है
दिवस गति है
दिन भर की गतिविधि का
रात को आभास
शांति मे सोचते हैं
हल खोजता हैं
सूबह क्रियान्वयन होता है
रात ही से दिन है
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