आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के लिए
सभी की भौहें तन गई
बोल नहीं पा रहे
पर मन मे कसक तो है
क्या अपराध किया है इन लोगों ने
क्या दोष है इनका
क्यों नहीं इन्हें अच्छी जिंदगी जीने का हक है
क्यों नहीं इनके बच्चों को भी अच्छी शिक्षा
अच्छी नौकरी की दरकार है
क्या कसूर है इनका
आरक्षित कहे जाने वाले वर्ग में इनका जन्म नहीं हुआ
गरीब तो ये भी हैं
जमींदारी खत्म हो गई
खेत बचे नहीं
बंटवारे मे कम से कम होते चले गए
बच्चों ने आँख खोली
तब उनके सामने भी प्रश्नचिन्ह
मैं तो पैसे वाला नहीं हूँ
तब मुझे क्यों ज्यादा फीस भरनी है
मुझे क्यों नौकरी नहीं
आरक्षण की भेंट वे चढ़ रहे
जबकि जाति का गणित उन्हें पता भी नहीं
वोटबैंक नहीं है
उनका प्रतिशत कम है
इसी कारण तो राजनीतिक पार्टियां उन्हें तवज्जो भी नहीं देती
अच्छा है
प्रधानमंत्री जी ने पहल की है
दस प्रतिशत ही सही
निर्णय तो लिया है
उनकी पीड़ा समझी है
मरहम तो लगाने का काम किया है
सबका साथ सबका विकास
मोदीजी का यह सराहनीय कदम है
धन्यवाद है सबके प्रधानमंत्री को
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