Tuesday, 5 February 2019

तब आज वाली बात नहीं थी

जिंदगी हसीन भी है
जिंदगी सुहावनी भी है
यह तो अब महसूस हो रहा है

पहले भी यही जिंदगी थी
मौसम भी खुशगवार रहता था
महफिलें भी शानदार रहती थीं
नजारे भी जानदार रहते थे
लोग भी वही थें
पर आज वाली बात नहीं थी

वह विरह का समय था
आज मिलन का क्षण
तुम साथ हो
तब सारां जहां मे आनंद ही आनंद
यह मन का खेल है
हम खुश तो सारा जग ही बदला सा
हम दुखी तो फिर सब बेकार

पतझड़ और वसंत
विरह और मिलन
यौवन और बुढापा
भले ही जिंदगी के साथ -साथ चलते हो
पर उसे प्रभावित जरूर करते हैं
हमारा जीने का सलीका बदल डालते हैं
हमें अपने आप से अंजान बना डालते हैं

No comments:

Post a Comment