जिंदगी हसीन भी है
जिंदगी सुहावनी भी है
यह तो अब महसूस हो रहा है
पहले भी यही जिंदगी थी
मौसम भी खुशगवार रहता था
महफिलें भी शानदार रहती थीं
नजारे भी जानदार रहते थे
लोग भी वही थें
पर आज वाली बात नहीं थी
वह विरह का समय था
आज मिलन का क्षण
तुम साथ हो
तब सारां जहां मे आनंद ही आनंद
यह मन का खेल है
हम खुश तो सारा जग ही बदला सा
हम दुखी तो फिर सब बेकार
पतझड़ और वसंत
विरह और मिलन
यौवन और बुढापा
भले ही जिंदगी के साथ -साथ चलते हो
पर उसे प्रभावित जरूर करते हैं
हमारा जीने का सलीका बदल डालते हैं
हमें अपने आप से अंजान बना डालते हैं
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