राजा जनक की अडाप्टेड यानि गोद ली हुई बेटी
धरती से मिली थी
धरती की पुत्री भी थी इसलिए सहनशीलता भी विरासत मे मिली थी
इसका यह मतलब भी नहीं कि वह कमजोर थी
अगर रामायण पर निगाह डाली जाय
तब सबसे मजबूत सीता ही नजर आती है
राजा जनक के घर पर शिवधनुष को उठा कर पूजा करनेवाली जानकी ही थी
तभी तो जनक ने प्रतिज्ञा की थी
जो इस शिवधनुष को तोड़ेगा
उसी से सीता का ब्याह होगा
राम के सिवाय कोई उस धनुष को उठा भी नहीं सका
राजा और योगी जनक भी रो पड़े थे और कहने लगे कि अगर मुझे पता होता
तब ऐसी प्रतिज्ञा ही नहीं करता
एक असहाय पिता की पीड़ा थी कि उनकी योग्य पुत्री को वर ही नहीं
जानकी ब्याह कर अयोध्या आई
राजा दशरथ की पुत्रवधू
पर तीन माताओं के पुत्र थे उनके पति
राज्याभिषेक की रात ही माता कैकेयी के हठ से उन्हें वनगमन करना पड़ा
सीता ने विरोध मे एक शब्द भी नहीं कहा
लेकिन वन गमन के लिए हठ कर दिया
जहाँ मेरा पति वहाँ मैं
महारानी कैकेयी ने केवल प्राणप्रिय बेटे राम के लिए वन का रास्ता चुना था
सबके मनाने के बावजूद सीता नहीं मानी
गोस्वामीजी ने मानस मे लिखा है
जिय बिनु देह ,नदी बिनु पानी
तैसे ही नाथ ,पुरूष बिनु नारी
ब्याह अयोध्या से नहीं राम से हुआ था
सीता ने महलों का और सुख - सुविधाओं को त्याग वन का रास्ता चुना
असली जीवनसंगिनी बनी
पहली नारी जिसने घर को छोड़ा
भटकती रही वन वन ,पति के साथ
पर्णकुटी मे रही ,स्वयं रसोई बनाने के साथ और कार्य भी किए
विडंबना यह कि जंगल भी रास नहीं आया
नाक कटी थी रावण की बहन सूपर्णखा की लक्ष्मण द्वारा
बदले की आग मे भेंट चढ़ी सीता
रावण साधु का वेश धारण कर आया
बंधी हुई भिक्षा लेने से इंकार करने पर
घर आए साधु को खाली हाथ कैसे जाने दू
गृहस्थ धर्म और मानव धर्म का पालन करने के लिए लक्ष्मण रेखा को तोड़ बाहर आई
जहाँ रावण ने उनका हरण किया
हठधर्मिता भी थी तभी तो सोने के हिरण के लिए जिद कर बैठी
राम को विवश किया
बाद मे लक्ष्मण को भी भेज दिया राम की रक्षा को
पति पर आंच नहीं आनी चाहिए
रावण हरण मे रावण का जम कर प्रतिरोध किया
इसमें पक्षीराज जटायु को भी जान गंवानी पड़ी
लंका मे उन्हें महल नहीं अशोक वन मे रहना रास आया
लंकेश के सामने कभी झुकी नहीं
राम ने युद्ध किया ,वापस आई
उनको अग्नि परीक्षा देनी पड़ी
फिर भी वह मजबूत रही
अयोध्या की महारानी बनी
लोग फिर भी चरित्र पर संदेह कर रहे थे
एक धोबी के कहने पर उन्हें फिर वन का रास्ता दिखा दिया गया
छोड़ने गए थे प्रिय देवर लक्ष्मण
गर्भवती सीता ने एक शब्द नहीं कहा राम को
लक्ष्मण बोल नहीं पाए पर वह समझ गई थी
लक्ष्मण को भेज दिया और राम को आदर्श राजा राम बना दिया
स्वयं रहने का ठिकाना ढूंढ लिया
बाल्मीकि के आश्रम मे लव - कुश को जन्म दिया
पहली एकल मां बनी जिसने अपनी संतान का पालन - पोषण अपने दम पर किया
बिना समाज की परवाह के
बेटों को योग्य बनाया
राम और लक्ष्मण जैसा शक्तिशाली
अश्वमेघ यज्ञ मे तो वे हनुमानजी को ही बांध लाए
राम की सेना को वापस भेज दिया उनके भाईयों के साथ
राम को रण मे स्वयं उतरना पड़ा
जहाँ अपने बेटों से उनका मिलन हुआ
बेटों को पिता से मिलवा दिया
उनका हक दिला दिया
पर स्वाभिमानी सीता वापस नहीं गई
लंका मे वह रह ली थी
पर फिर अयोध्या जाना उन्हें गंवारा नहीं हुआ
धरती की पुत्री थी
फिर उसी मे समा गई
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