प्यार ही प्यार
सर्वत्र ही प्यार
हर रिश्ते मे प्यार
हर जीव से प्यार
प्यार मे ही करूणा और दया समाए
प्यार ही से जीवन संचालित
प्यार है तो जीवन सरस
प्यार ही मे त्याग
प्यार का भंडार बहुत बड़ा
इसके अनेकों स्वरुप
प्यार दिखता नहीं
महसूस होता है
जीवन की धुरी ही प्यार के इर्दगिर्द
माता से शुरू हुआ प्यार
इतना असीम कि
हम इसे जिंदगी भर बांटते रहे
हर पल-क्षण बांटते रहे
यह कम कभी नहीं होता
दिनोंदिन निखरता जाता है
प्यार लोगों को एक -दूसरे के करीब लाता है
सारी दूरियाँ मिटा डालता है
अपना बना डालता है
प्यार करना ही मानव का सबसे बड़ा धर्म और कर्म
जिससे हमें प्यार होता है
वह तो हमारे लिए अनमोल
प्यार वह हीरा है
जिसकी चमक कभी कमजोर नहीं पड़ती
जितना घिसे और निखरे
प्यार मे कंजूसी नहीं
जिससे भी प्यार हो
उससे इजहार करें
उसे महसूस कराए
न कि वह घूट कर रह जाए
गुस्से ,नफरत और अंहकार को इसमें आड़े न आने दे
प्यार झुकना सिखाता है
किसी को झुकाना नहीं
हर दिल प्यार से भरा हो
तब सारा संसार ही अपना लगेगा
प्यार से ही तो संसार है
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