हर सांस है आती जाती
सांस है तब तक जिंदगनी
सांसो की डोर से बंधा जीवन
उसकी डोर ऊपर वाले के हाथ
सांस बंद सब खत्म
यह हमारे हाथ में नहीं
फिर भी हम बैचेन
हम तो कुछ भी नहीं
डाँक्टर हो वैज्ञानिक हो
किसी का बस नहीं
उनका अपना जीवन भी नहीं
वह कोशिश कर सकते हैं
गारंटी तो नहीं दे सकते
आपरेशन सफल हो तब भी
अगले क्षण क्या हो
वह तो ऊपरवाले के हाथ मे
जब सांस ही अपने वश मे नहीं
तब और का क्या??
सब छोडकर उसकी शरण मे जाओ
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