तन और मन
दोनों है साथ साथ
तन का सौंदर्य ईश्वर की देन
मन तो हमारे वश मे
तन सुंदर हो ,यह तो सौभाग्य
पर मन सुंदर हो
यह तो स्वयं और दूसरों के लिए वरदान
सुंदर शरीर मे सुंदर मन का निवास
यह सोने पर सुहागा
हो सकता है
तन सुंदर न हो उतना
पर अगर मन सुंदर हो तो
उससे बड़ा बाजीगर कोई नहीं
दिलों को जीतने की कला जिसने सीख ली
परचम तो उसका ही फहरेगा
प्यार और आदर - सम्मान का वही हकदार है
तन सुंदर हो पर मन न हो
ऐसी सुंदरता किस काम की
वह क्षणिक प्रभाव डाल सकती है
पर हमेशा के लिए दिलों पर राज नहीं कर सकती
वह तो उस खाली नक्काशीदार घड़े के समान है
जो शो पीस के रूप में विद्यमान है
घड़ा तो वही है
जो पानी पिला रहा है
भले ही रूप कैसा भी हो
तब तो सच भी यही है
तन की सुंदरता पर मन की सुंदरता भारी
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