हाथ मे काठी
मुख मे राम
चेहरे पर मुस्कान
आशिर्वाद के लिए लरजते शब्द
अभिवादन के लिए जुडे हाथ
मंदिर की घंटियाँ बजाते कंपकंपाते हाथ
अस्फुट स्वर मे गुनगुनाते भजन
डगमगानते कदम
फिक्रमंद होते हुए ये लोग
उम्र भले ही हो गई हो
जज्बा तो कायम है
सहायता को अब भी तत्पर
भले उठने बैठने मे असमर्थ
ये ऐसे ही रहे
सर पर इनका हाथ रहे
हम इनसे हैं यह हमसे नहीं
यह आधार हैं परिवार का
इनका साथ यानि ईश्वर मेहरबान
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