आज यहाँ तो कल वहाँ
दुर्घटना घटी जा रही है
पुल गिर रहे हैं
लोगों की जान जा रही हैं
कुछ समय तक हलचल
फिर बात आई गई हो गई
हो हल्ला हुआ
मुआवजे का ऐलान हुआ
नेता फेरी लगा आए
सांत्वना दे दी
लेकिन उनका क्या???
जिन्होंने अपना परिजन खोया है
वह भी सरकार की लापरवाही से
यह जिम्मेदारी किसकी बनती है
जनता टेक्स देती है
उसकी सुरक्षा और सुविधा का इंतजाम करना चाहिए
उनका जीवन इतना सस्ता है क्या??
इसी जी टी अस्पताल मे आंतकवादी आए थे
वह कसाब अभी हम भूले नहीं है
वे तो आंतकवादी थे जान लेने के लिए ही आते हैं
पर यह जो भ्रष्टाचारी है उनका क्या हो??
यह तो आराम से रहते हैं
इज्जतदार कहलाते हैं
और इस तरह लोगों की जान धोखे में डालते हैं
पुल का आँडिट हुआ था फिर ऐसा क्यों हुआ??
एक के बाद एक
गिर रहे हैं
और एक -दूसरे पर दोष मढ़कर अपना पल्ला झाड़ लिया जाता है
यह फुटओवर ब्रीज एक तरफ से दूसरी तरफ जाने का काम करता है
यह किसे मालूम था कि
यह मौत के द्वार तक पहुंचाने वाला है
यह कब रूकेगा ??
कब सरकारी अफसरान सचेतेगे ??
अगर लाल बत्ती के कारण गाडियाँ नहीं रूकी होती तब और कितना भयंकर मंजर होता
यह आवागमन के साधन है
जान लेने के नहीं
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