Wednesday, 13 March 2019

जब तक जीना तब तक लड़ना

बगिया मे खिला लाल सूर्ख गुलाब
सभी की नजरें उसी तरफ
आते जाते हर राहगीर की
छोटे छोटे बच्चों की ललचाई दृष्टि
वृद्धों की अपने अराध्य को चढाने के लिए
प्रेमियों की प्रेमिका को उपहार देने के लिए
माली सबसे बचा रहा
फूल सोच रहा है
यह लोग मुझे जीने नहीं देना चाहते
क्या दुश्मनी है मुझसे
मिट्टी मे से किसी तरह पला बढ़ा और पनपा
पशु -पक्षियों का खाध बनते रह गया
फिर कांटों ने आ घेरा
उनसे भी लोहा लेते
किसी तरह ऊपर आया
पूरे शबाब मे खिला
तब भी चैन और शांति नहीं
यही तो है जीवन का सार
जब तक जीना है
तब तक लड़ना है
हम जीवनरूपी युद्ध के योद्धा है
जहाँ हर दिन लड़ाई लडनी पड़ती है
अपने असतित्व को कायम रखने के लिए

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