Tuesday, 5 March 2019

संबोधन बदल गए

पप्पू के भैया
बबलू के पापा
सुनील की अम्मा
आभा की भाभी
ए जी ,ओ जी
अजी सुनती हो
आजकल सुनाई नहीं देते
अब तो सीधे नाम लेकर
ज्यादा कुछ लगा तो जी लगा दिया
वह समय बीत गया
जब नाम लेना पाप समझा जाता था
उम्र कम हो जाएगी
पति को तो छोड़ दे
कुछ जगहों पर तो जेठ -देवर का नाम भी नहीं लिया जाता था
नाम समझने के लिए न जाने कितना समय लग जाता था
ईशारा कर समझाया जाता था
हंसी के फुहारें भी छूटती थी
आज नाम प्रधानता का युग है
हर व्यक्ति अपना नाम से पहचाना जा रहा है
पुरुष और महिला बराबरी पर है
तब संबोधन भी बदल गए हैं

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