अभिनंदन का अभिनंदन तो हुआ
जश्न मनाया गया
स्वागत किया गया
जो हक बनता है इस जाबांज का
यह हमारा जवान तो लौट आया
लेकिन एक वह भी जो लौटा नहीं
कैप्टन वशिष्ठ जिनका भी बलिदान उसी वक्त
वे सुर्खियों मे नहीं थे
अभिनंदन के लौटने वाले दिन भी
सीमा पर हमारे तीन -चार जवानों की जान गई थी
यहां तक कि सिवीलियन की भी
जश्न मनाते समय यह ध्यान रखना चाहिए
यह वह पडो़सी है
जिस पर कभी विश्वास नहीं किया जा सकता
उसने एक को लौटाया है
औरों की जान ली है
हर जवान हमारे लिए बहुत मूल्यवान है
हर शहीद का सम्मान तो बनता है
कभी कभी अंजाने मे ही हम भूला बैठते हैं
दो अक्टूबर तो सब को याद रहता है
महात्मा गांधी की जयंती
उस दिन एक और महान शख्स का भी जन्मदिन रहता है
वह है भारत के लाल ,लाल बहादुर का
पर हम बापू के जन्मदिन के जश्न में इस शख्सियत को ज्यादा तवज्जो नहीं देते
कुछ तो जानते ही नहीं
बरगद का विशालकाय वृक्ष
उसके नीचे पनपते छोटे छोटे पौधे
वह नहीं दिखाई देते
यह जान बूझकर होता नहीं
हो जाता है
इस बार का ध्यान रखना हमारा कर्तव्य बनता है
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