शेर है जंगल का राजा
सब पर रौंब जमाता
हर प्राणी इससे डरते रहते
डर से दुबके रहते
कब किस पर वार करें
कब किस पर झपट्टा मारे
कब किसको चीरफाड़ अपना भक्ष्य बना ले
घास -फूस नहीं ,फल -फूल नहीं
इसको तो प्यारा है रक्त - मांस
यह जब गुर्राता है
यह जब दहाड़ता है
सबकी सिट्टी -पिट्टी गुम
जंगल मे तो है बड़े बड़े जानवर
हाथी -भालू जैसे
तब भी शेर है सब पर भारी
आखिर शेर तो शेर ही है
No comments:
Post a Comment