स्मृति ईरानी को विस्मृति
वह भी बार- बार
अपनी ही शिक्षा अधर मे
और बन गई शिक्षामंत्री
डिग्री को लेकर झूठ पर झूठ
कभी बी ए पास
कभी बी काँम फस्ट ईयर
कभी येल विधापीठ
कब से चल रहा यह खेल
इंटर पास तो इंटर पास
उसमें कोई बुराई नहीं
लेकिन झूठा बोलकर क्या हासिल होगा
हास्यास्पद ही होगा
इससे तो अच्छा होता
कि किसी ओपन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर ली होती
पांच साल मे वह हो गया होता
बहुत से लोगों ने उम्र के आखिरी पड़ाव पर भी पढ़ाई की है
ये तो युवा नेता है
आदर्श है
अगर शिक्षा के प्रति इतना मोह है
सम्मान है
तब गलत न बताए
यह बात दिगर है
धाराप्रवाह बोलना और
शिक्षा ग्रहण करना इसमें जमीन -आसमान का फर्क
डाँ मनमोहन सिंह बोलते नहीं थे
पर उनकी योग्यता का कायल तो पूरा विश्व था
वे प्रधानमंत्री बने पर उनकी योग्यता पर उंगली नहीं उठी
शिक्षामंत्री बनते ही यह तमाम विवादों मे घिर गई
यहाँ एक घर नहीं
पूरा देश संभालना है
नेता तो योग्य होना ही चाहिए
शिक्षा बिना तो यह संभव नहीं
विस्मृत मत हो बार बार
स्मृति नाम का तो मान रखिए
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