तुम्हारे पास रहकर भी खालीपन लगता था
तुम्हारे दूर जाने पर भी वही खालीपन
समझ नहीं पाती कि
यह क्या है??
प्यार शायद नहीं
यह साथ रहने की मजबूरी है
प्यार समर्पण चाहता है
उसमें समझौते को स्थान नहीं
समझौता तो मजबूरी का दूसरा नाम
प्यार में अंहकार और अहसान नहीं
अहसास की अहमियत होती है
जो तुममें कभी नहीं थी
फर्ज अदा किया
टूट कर प्यार कभी नहीं
उसीकी परिणति आज नजर आ रही है
न तुम्हे फर्क
न हमें फर्क
हाँ , रीतापन अवश्य
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