ईश्वर ने एक माँ से कहा
तुम्हारे सब सुख ले लिया जाय
उसके बदले में तुम्हें मनचाहा वरदान मांगने को कहा जाय
तब तुम अपने लिए
क्या मांगोगी
माँ ने ऐसा उत्तर दिया
ईश्वर भी हतप्रभ हो गए
मुझे अपनी संतान का भाग्य
अपने हाथों से लिखने का अधिकार मिले
दुख को तो उसके पास न फटकने दू
सारी खुशियाँ उसके कदमों में रख दू
उसे देखकर ही
मुझे सब कुछ हासिल हो जाएगा
ऐसी होती है माँ
अपने लिए नहीं
अपने जिगर के टुकड़े के लिए जीती है
निस्वार्थ प्रेम
जिसका कोई मुकाबला नहीं
किसी से भी नहीं
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