तुमको जो अच्छा लगे
वह करो
जो पहनना हो पहनो
जहाँ घूमना हो घूमो
जिससे दोस्ती करना हो करो
जब उठना हो उठो
लोग क्या कहेंगे
इसकी परवाह नही
लोग तो कहते ही रहते हैं
न करो तब भी
करो तब भी
दूसरों के मामले में टांग अड़ाना
अपना जन्मसिद्ध अधिकार
कितना भी अच्छा हो
दुनिया की पुरानी आदत है
नजर गडाकर रखना
दूसरों के जीवन में दखलंदाजी
अपने गिरेबान में झांकने को फुर्सत नहीं
हाँ दूसरों पर यह कृपा अवश्य
इस समाज में रहना है
तब इन सबसे कोई फर्क नहीं पड़ता
मेरी जिंदगी
मेरे मुताबिक
समाज के मुताबिक नहीं
अपने को इतना ऊपर उठाना है
ताकि यह सब फिजूल लगे
समाज को नजरअंदाज कर
अपना नजरिया बदलना है
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