मिट्टी गीली हो गई थी
बरसात जो हुई थी
सब उस पर पैर रख दबा दबा कर जा रहे थे
वह सब देख रही थी
आज वह ऐसे है
कल जब सूख जाएगी
तब कोई उससे खेल कर दिखाए
ऑखों में भर जाएगी
देखना मुश्किल हो जाएगा
धूल उनके लिए किरकिरी बन जाएगी
तब उसका समय होगा
किसी को दबाते समय ध्यान रखें
आज यह हमेशा नहीं रहेगा
कल भी आएगा
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