Sunday, 7 July 2019

कल भी आएगा

मिट्टी गीली हो गई थी
बरसात जो हुई थी
सब उस पर पैर रख दबा दबा कर जा रहे थे
वह सब देख रही थी
आज वह ऐसे है
कल जब सूख जाएगी
तब कोई उससे खेल कर दिखाए
ऑखों में भर जाएगी
देखना मुश्किल हो जाएगा
धूल उनके लिए किरकिरी बन जाएगी
तब उसका समय होगा
किसी को दबाते समय ध्यान रखें
आज  यह हमेशा नहीं रहेगा
कल भी आएगा

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