Monday, 8 July 2019

अनुकरण सोच समझ कर

कैसा समय आ गया है
जो गेहू - चावल कभी ग्रामीणो को मुश्किल से मिलते थे
आज उनका ही बोलबाला
बस उसी की पैदावार
सरकार से भी वही मिल रहा
ज्वार ,बाजरा ,सावा ,कोदो सब लुप्त हो रहे
गरीबों का अनाज आज
अमीरों की पसंद
सरसों का साग
मक्के की रोटी
यह तो होटलों में भी परोसना
ऐसा लगता है
कुछ समय बाद ये सब केवल नाम से जाने जाएँगे
हमारी हर फसल
हर फल
हर सब्जियां
हर साग पत्ता
कुछ न कुछ गुणों से भरपूर है
तभी उस समय भोजन में मौसम के अनुसार सब शामिल
आज कुछ गिने-चुने ही
हम अपने खाने
अपने पहनावे
अपने संस्कार
अपने रहन सहन
सब भूलते जा रहे हैं
अनुकरण कर रहे हैं
यह भूलकर हर देश अलग है

No comments:

Post a Comment