जनता की सेवा नहीं
अपनी जेब भरनी है
अपना और अपनी पीढी का भविष्य सुरक्षित करना है
जहाँ सत्ता वहाँ हम
हम नेता हैं
जनता के सेवक नहीं
इतनी मेहनत से चुनाव लडा है
उसका कुछ तो सिला मिलना चाहिए
इतने पैसे खर्च किए है
वह कैसे निकलेगा
सत्ता प्यारी है
नैतिकता को कौन पूछता है
उससे क्या हासिल होगा
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