बूँद कितनी स्वच्छ चली थी
उड ही रही थी
अचानक नाले में गिर पडी
अपने भाग्य को कोसने लगी
बदबू से कराहने लगी
इतनी गंदगी कि जिंदगी दुश्वार
यह किया किसने
हम तो ऊपर से शुभ्र स्वच्छ आती है
पृथ्वी वासियो के लिए
उन्हें शीतल करने के लिए
प्यास बुझाने के लिए
हरा-भरा करने के लिए
फसल के लिए
और हमारी दुर्दशा इस तरह
हमें गटर और नाले में शरण
इसका जिम्मेदार भी तो पृथ्वी वासी ही है
No comments:
Post a Comment