तब बचपन सांप सीढी और लूडो खेलता था
आज वह खेलने के लिए बचा ही नहीं
तब साथ चाहिए था किसी का
आज मोबाइल का साथ है
पहले बडो की बातें ध्यान से सुनते थे
आज मोबाइल की सुनते हैं
पहले किताब का पन्ना पलट पलट कर ढूंढते थे
अब तो एक क्लिक करना है सब हाजिर
मेहनत की क्या जरूरत
पहले लोगों को देखते थे
आज अपनी ही सेल्फी लेने की होड है
दुनिया जहान से क्या वास्ता
सब मोबाइल में ही मगन है
न वह दौर है
न वह बचपन है
अब बातों की फुर्सत ही नहीं
सब अपने में व्यस्त है
भाई - बहन ,माँ - बाप ,साथी - संगी
सब मोबाइल ही है
खेलो - कूदो ,खाओ - पीओ
नाचो - गाओ , मौज उडाओ
पल पल इसके साथ बिताओ
खाना - पीना ,सोना - उठना
सब इसके साथ साथ
जबसे यह हुआ मेहरबान
तबसे बचपन हो गया सबसे आजाद
बस कस कर पकड लिया है
मोबाइल का साथ
बचपन का बचपना गायब
मोबाइल का सबसे बडा कमाल
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