Friday, 13 September 2019

आरे को मत उजाड़ो

आज तुम मेरा घर उजाड़ रहे हो
अपनी सुविधा के लिए
पेड़ काट रहे हो
आरे को उजाड़ रहे हो
मेट्रो के लिए
वह तो जरूरत है तुम्हारी
पर हमारी जरूरत
हमारा घर जंगल
जहाँ हम स्वतंत्र विचरण करते हैं
इस पर कुठाराघात
तब हम क्या करेंगे
जैसे कभी-कभी बाहर सडकों पर निकल पड़ते हैं
आपकी जान खतरे में पड जाती है
कभी-कभी चली भी जाती है
आखिर हम तो जानवर ही है
आप जैसी बुद्धि हमारे पास कहाँ
हमारा तो पेट भरे किसी भी तरह
शिकार न मिला तब कुछ भी कर सकते हैं
ऐसा न हो कि
किसी दिन मेट्रो में हम और हमारे साथी सफर करें
अपना आशियाना उसी में ढूंढ ले
शिकार भी आसानी से उपलब्ध
तब हम पर तोहमत
यह जंगल में क्यों नहीं रहते
अरे भाई
आरे ही नहीं रहेगा
जंगल ही नहीं रहेगा
तब हम क्या करेंगे
अभी भी सचेतो
पेड़ पौधों को जीने दो
हमें भी जीने दो
खुद भी सुकून से जीओ
जिंदगी को अफरा तफरी मत बनाओं
मैं जंगल का राजा शेर
सभी प्राणियों की तरफ से दरख्वास्त कर रहा हूँ
हमारा घर मत उजाड़ो
हमे बेघरबार मत करो
खुद जीओ औरों को भी जीने दो

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