नासा पर पानी
चांद पर पानी
मंगल पर पानी
ढूढता फिर रहा हूँ
क्योंकि धरती पर पानी की किल्लत है
कोई जम कर बहा रहा है
कोई बूंद बूंद के लिए तरस रहा है
कोई जम कर रिसोर्ट में तैराकी कर रहा है
कोई पीने के लिए भी मोहताज
जो मिला है उसका दुरुपयोग
उसे गंदगी से युक्त
कुएँ और तालाब को पाट कर
हम अपने सपनों का महल खडा कर रहे हैं
ऐसा न हो कि हम सपने देखते ही ऊपर पहुंच जाय
चंद्र पर जमीन खरीदने की सामान्य जन की औकात नहीं
पृथ्वी पर तो कब्जा कर ही लिया है अमीरों ने
वहाँ पर भी आशियाना खरीद लेंगे
पैसा है तो सब संभव
सारी सुविधाएं झोली में
तरसेगा सामान्य
टेक्स भरेगा
सरकार की तिजोरी भरेगी
उसमें से अमीर लूट ले जाएँगे
घपले-घोटालों में
गरीब को खैरात में सब सुविधा
मरे सामान्य जन यानि मिडिल क्लास
मेहनत कश लोग
गरीब को बिजली पानी मुफ्त
अमीर तो खरिदेगा
भरेगा और मरेगा
सामान्य नागरिक
न चांद पर जा सकता है
न धरती पर चैन से जी सकता है
बीमारी से घिरकर
अंतिम समय में जोड जोड कर
पेट काट काटकर
सब पूंजी डाक्टर साहब के हाथों में रख देना है
चांद तो क्या स्वर्ग लोक को प्रस्थान कर देना है
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment