Friday, 11 October 2019

अभी समय है

सब्जी के कुछ बीज थे
माँ ने उसे नीचे ले जाकर बगीचे में डाल दिया
कुछ दिन बाद लता पनपी
देखते-देखते वह पसरने लगी
कुछ दिन बाद ही फूल आए
फिर छोटे छोटे लौकी दिखने लगी
देखते-देखते वह छा गई
इतनी हो गई कि सब आस पास के लोग भी ले जाने लगे
सोचने लगी
छोटा सा बीज इतना बड़ा
इतने बड़ी बड़ी लौकिया
कुछ समय तक रहेंगी
फिर यह लता सूख जाएंगी
उसको उखाड़ कर फेंक दिया जाएगा
तीन या चार महीने में इतना कुछ दिया
कितनों के रसोई में गई
पेट भरा
स्वादिष्ट और भिन्न भिन्न प्रकार से
जिंदगी भी जो मिली है
जैसी भी है
कुछ न कुछ सार्थक कर जाय
जाना तो सबको ही है
पर किसी के जीवन में भी मिठास भर जाय
अपने तो जीए भरपूर
और साथ वालों को भी कुछ खुशियाँ बांटने का काम करे
ऐसा मौका गंवाए नहीं
ऐसा न हो कि मौसम बदल जाए
जब समय है तभी

No comments:

Post a Comment