सब नियमित है
प्रकृति का हर कण
सूर्य ,चंद्र ,तारे
सुबह ,शाम ,रात
मानव ही अनियमित हुआ जा रहा है
सुबह उसकी दोपहर में होती है
आधी रात ढलने के बाद उसकी रात शुरू होती है
खाना पीना
सोना जागना
सब अनियमित
जब सुबह होती है तब वह सोता है
रात होती है तब जागता है
यह अनियमिता घर कर गई है
तभी तो कुछ भी नियमित नहीं हो पाता
तब स्वास्थ्य भी तो साथ नहीं रह सकता
उसे नियमता पसंद है
और सब उसके साथ खिलवाड़ कर रहे हैं
जो वह स्वीकार नहीं करता
वह भी अनियमित होता जा रहाहै
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