सत्ता के गलियारों में रिश्ते क्या कहते हैं
हर रिश्ते की एक अलग कहानी
हर रिश्ते का अंदाज नया
यही से रिश्ते बनते हैं बिगडते है
नई पहचान बनाते हैं
कुछ टूटते हैं
कुछ जुड़ते हैं
कुछ बिगडते है
कुछ जुगाड़ करते हैं
कुछ जुडाव में रहते हैं
कुछ दिखावा करते हैं
कुछ अभिनय करते हैं
जैसा भी है
हर रिश्ता कुछ बयां करता है
क्योंकि यह सत्ता का खेल है
हर कोई खेलना चाहता है
और जो जीत गया
तब सत्ता उसके सर पर चढ बोलती है
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