वक्त बीतता गया
सब बदलता गया
दोस्ती ,रिश्ते ,नाते
कितना कुछ छूट गया
बचपना तो कब का चला गया
अब केवल याद भर बाकी है
बहुत सुंदर झांकी है
वह स्वर्णिम क्षण जेहन में ताजा है
आ गई जवानी
बचपन को धक्का देकर
पीछे ढकेल कर
सपने दिखा कर
कुछ कर गुजरने का जज्बा लेकर
प्रेम और मोहब्बत के जज्बात लेकर
एक नई दुनिया
एक नया संसार
बहुत कुछ दिया
अब दस्तक देने लगा बुढापा
किसी तरह छिपा रहे
केशों को काला कर
जवान दिखने की कोशिश
व्यायाम कर चुस्त दुरुस्त रहने की कोशिश
पर कोशिश कहाँ सफल
असलियत तो असलियत
उससे कहाँ भागेगे
कब तक जवान बनने की कोशिश
वक्त तो बीता
खर्च हम होते गए
बचपन और जवानी गई
बुढापे की दहलीज पर खडे हैं
लेखा जोखा कर रहे हैं
जीवन में क्या किया
कितना खोया
कितना पाया
पीछे जाना संभव नहीं
जो हाथ लगा है
वही हमारा
सब तो खर्च
जो बचा है वही जी ले
अभी भी सांस बाकी है
तब जज्बा भी रखना है
आखिर जीवन तो जीना है
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