यह क्या हो रहा है
देश क्यों जल रहा है
कभी पुलिस पर प्रहार
उन पर ईटों पत्थर से वार
कभी विश्वविद्यालय में छात्रों को घुसकर मारना
लाइब्रेरी तक में घुसना
ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ
छात्र राजनीति करते रहे हैं
पर इसका मतलब यह तो नहीं
उनसे इस तरह से पेश आया जाय
प्रजातंत्र है
अपनी बात रखने का हर किसी को अधिकार
दबाया क्यों जाय
जहाँ दमन होगा
उसका परिणाम भी यही होगा
वे छात्र है
कोई गुंडे नहीं
पुलिस तो काफी अनुभवी होती है
वह जानती है
किससे किस तरह निपटना है
थोड़ी समझदारी दिखाई होती
क्या पुलिस भी दवाब में है
अगर है
तो किसके
यह भी बडा प्रश्न
खैर जो भी हुआ
वह होना नहीं चाहिए
विद्या के मंदिर में यह सब शोभा नहीं देता
छवि सबकी खराब होती है
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