बार-बार यही होता है
हर बार झुकना पडता है
गलती हो या न हो
कभी-कभी मन कचोटता है
जब हमने कुछ किया ही नहीं
तब माफी किस बात की
साॅरी किस बात की
हम ही क्यों झुके
कारण कि ये हमारे अपने है
इनसे अलग होकर हम रह नहीं सकते
जितना दिल दुखाया है
वह हमारे अपनों ने
उनसे बहस नहीं करना
उनसे उलझना नहीं
क्योंकि साथ में भी वह ही होते हैं
हर मुसीबत के वक्त
हर मुश्किल घडी में
फिर उनकी बातों पर क्यों जाय
वह कितना प्रेम करते हैं
अच्छी बातें करने वाले बाहर बहुत मिल जाएंगे
पर प्रेम और त्याग तो अपने ही करते हैं
अपनों का प्यार देखिए
उनकी बातों पर न जाए
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