हम हिंदू हैं
सहिष्णु हैं
सदियों से दबाए गए
कुचले गए
कभी अपने ही धर्म द्वारा
कभी दूसरों के द्वारा
उपेक्षित और पिछड़े की श्रेणी में
कभी जबरन दूसरा धर्म स्वीकार किया
कभी गरीबी और तंग हालात के चलते
कभी मजबूरी कभी लालच
तब भी हम कायम रहे
हमारे धर्म से अलग हो कुछ महापुरुषों ने
दूसरे धर्म का भी आविष्कार किया
बुराइयाँ अलग की
आज जब हिंदू के और उसके साथी धर्म को अधिकार
देने की बारी आती है उस पर भी विवाद
दूसरे कुछ धर्मावलंबी देश में हमें सताया जाता है
हमें दोयम दर्जे का नागरिक समझा जाता है
हम पर अत्याचार होते हैं
हमारे अधिकारो का हनन होता है
फिर कहने के लिए
हिन्दुओं के लिए एकमात्र हिंदूस्तान
तब बवाल क्यों ??
हम कहाँ जाएंगे
हमें कौन शरण देगा
तब हम तो हिंदूस्तान से ही अपेक्षा करेंगे
कुछ को परेशानी क्यों
जब हिंदू सताया जाता है
तब विरोध की आवाज नहीं उठती
अधिकार देने की बात की जा रही है
तब चहुँ ओर विरोध
यह तो हमारे धर्म पर ही अन्याय है
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