खाकी से इतना खौफ
यह खाकी ही है
जो रात दिन जागती है
जब हम रात को चैन की नींद सोते हैं
तब ये प्रहरी सज्ज रहते हैं
सुरक्षा के लिए
चौबीस घंटे उसी में रहते हैं
अपने परिवार को छोड़ हमारा ध्यान रखते हैं
जब आपदा आती है
तब सबसे पहले यही याद आते हैं
हम जब त्योहारो का जश्न मनाते हैं
तब यह किसी अनहोनी को रोकने के लिए सज्ज रहते हैं
यह अपनी ड्यूटी निभाते हैं
यह उनका कर्तव्य है
वह भाग नहीं सकते
जब जुलूस निकलते हैं
तब यह साथ चलते हैं
जब भीड़ उपद्रव पर आ जाती है
तब भी उनको संभालने के लिए डटे रहते हैं
अपनी परवाह किए बिना
यह सरकार के नुमाइंदे हैं
उनके आदेश का पालन करते हैं
पर वह हमारे भी कुछ लगते हैं
हमारे रक्षक हैं
तब उन पर प्रहार
उनको दौड़ाकर मारना
तब असामाजिक तत्वों के मन में इनका डर खत्म हो जाएगा
ऐसे ही लोग पुलिस को गाली देते हैं
उनके प्रति गलत धारणा बना रखी है
आप जनता है
ये जनता के सेवक हैं
उनको सैलरी आपकी सुरक्षा के लिए मिलती है
मार खाने और चोटिल होने के लिए
यह हमारी पुलिस है
उसकी खाकी वर्दी का सम्मान सभी का कर्तव्य बनता है
अपने ही रक्षक को मारेगे
तब आप कैसे सुरक्षित रहोंगे
अधिकार चाहिए तब कर्तव्य का भी पालन हो
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