बर्फ गलता जाता है
उसका आकार बिगडता जाता है
अंत में वह पानी बन जाता है
उसी पानी से फिर बर्फ बनाना हो
वह फिर बन जाएंगा
कोई मुश्किल नहीं
पर मनुष्य जीवन एक बार ही
वह पिघलता रहेगा
गलतियाँ और अपराध करता रहेगा
तब वह चाहे कि
फिर पहले जैसा हो जाऊं
यह संभव नहीं
एक ही जनम मिला है
उसका सदुपयोग करना है
दुरूपयोग करना है
यह तो स्वयं उसके हाथों में
न समय वापस आएगा
न जीवन
तब इसी जीवन को जी ले
सार्थक बना ले
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