Thursday, 5 December 2019

हर किताब की एक कहानी

हर किताब की एक कहानी
पन्नों को पल्टा
हर पन्ना कुछ कहता
कभी कुछ अच्छा
कभी कुछ नागवार
पर उस पन्ने को किताब से अलग नहीं किया
उसके बिना तो किताब अधूरी
पसंद हो या नापसंद
है तो उसी का एक भाग
हर भाग और हिस्सों को जोड़ कहानी का निर्माण
किसमें कितना वक्त लगा
किसने दिल को झकझोरा
किसने पीडा दी
इसका हिसाब किताब नहीं
कुछ पन्नों को बार बार पल्टा
कभी ऑखों में ऑसू आए
कभी होठों पर हंसी छलकी
कभी किसी में जिंदगी मुस्कराई
यह उस रचनाकार की रचना
जिसका प्रमुख किरदार तो हम हैं
कहानी भी तो हमारे ही इर्द-गिर्द घूमती है
तब उस पन्ने को अलग कैसे करे
वह तो जुड़ा हुआ है
हिस्सा है
उसे न काटा जा सकता है
न छाटा जा सकता है
न अलग किया जा सकता है
न फाडा जा सकता है
बस उसके साथ जीया जा सकता है

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