हंसते रहो
जब मुसीबत सर पर खडी हो
हंसते रहो
जब परिस्थितियां विपरित हो
हंसते रहो
जब विपत्तियों ने डेरा डाला हो
हंसते रहो जब दुख और पीड़ा से सामना हो
हंसते रहो
जब बीमारियां मुंह बाए खडी हो
हंसते रहो
जब शरीर लाचार हो जाए
हंसते रहो
जब अपनों से धोखा मिले
हंसते रहो
जब कोई तुम्हारी दुखती रग पर ऊंगली रखे
हंसते रहो
जब कोई तुमसे कुरेद कुरेद कर सवाल जवाब करे
हंसते रहो
जब तुम्हारा कोई अपमान करे
हर समय हंसते रहो
हर परिस्थिति में हंसते रहो
तब जीवन आसान
स्वास्थ्य अच्छा
पर ऐसे समय में हंसना आए तब न
हंसी नहीं
क्रोध ,रूदन ,मायूसी ,लाचारी ,विवशता
यह प्रभावी हो जाती है
हंसने के लिए भी सुहावना मौसम चाहिए
बेवजह और बेवक्त हंसी भी तो नहीं आती
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