कल की रात कुछ खास थी
आज की सुबह कुछ खास है
जिंदगी की रफ्तार भी कुछ खास है
देखते देखते सब बदल गया
नववर्ष का आगमन हो गया
कल की बातें पुरानी हो गई
साल ही बदल गया
तब हम भी बदले
प्रकृति ही बदलाव चाहती है
मौसम बदलता है
युग बदलता है
परम्पराएं बदलती है
युगों युगों से यही चलता आ रहा
जो कल था
वह आज नहीं
जो आज है वह कल नहीं
बदलाव तो धर्म है
बदलाव को स्वीकार करना
यह नैसर्गिक है
जो ठहर गया
वह वहीं रूक गया
जो बदल गया
वह आगे बढ गया
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