जिंदगी गुजरती जा रही है
बहुत कुछ ख्याल आता है
ऐसा होता तो ??
ऐसा क्यों हुआ ??
मेरे साथ ही ??
फिर नजर डाली पूरी जिंदगी पर
बहुत कुछ खास है
कितने लोग अपने है
कैसा परिवार है
कैसा माहौल है
तब लगा
इतनी बुरी भी नहीं
बहुत कुछ तो पाया है
अपनों का प्यार साथ रहा है
लाजवाब लोग मिले हैं
अच्छे लम्हों की कतार है
गुजरना नहीं
इसे जीना कहते हैं
भरपूर जी भी रहे हैं
कभी-कभी अमावस की रात भी आती है
पर वह हमेशा तो नहीं रहती
छट ही जाती है
पुर्णिमा भी तो आती है
जब भरपूर प्रकाश होता है
टूटे सपने ही नहीं
यादगार लम्हे भी तो साथ है
उनका तो भरपूर आनंद ले ले
जो नहीं मिला
उसकी अपेक्षा जो मिला
वह भी तो वरदान है
कितनों को तो वह भी नसीब नहीं
जिंदगी गुजारना नहीं जीना है
हर लम्हों को कैद करना है
सुनहरे पलों को याद करना है
उन्हें संजोकर रखना है
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