अब तो रूक जा
जरा ठहर जा
वो मुसाफिर
यह देश है तेरा
यह जमीन है तेरी
इस पर अधिकार है तेरा
अपना पसीना बहाया है
दिन रात एक किया है
तेरी ही बदौलत है ये सडके
ये आलीशान गगनचुंबी इमारतें
अभी है संकट की बेला
इतना न हो हताश
यह जमी भी तेरी
यह शहर भी तेरा
यह सरकार भी तेरी
जरा सब्र कर
जरा ठहर जा
सब ठहर गए
बस ,ट्रेन और यातायात के साधन
तू कितना चलेगा
तू अकेला नहीं है
सब है फिक्रमंद
बहुत मूल्यवान है तू
अभी तो देश को तुम्हारी जरूरत है
तुम्हारा सहभाग बिना तो कुछ भी नहीं
माना कि मुश्किल घडी है
पर तू भी कहाँ कमजोर है
जहाँ है जैसे है वही रूक जाओ
थोड़ा ठहर जाओ
जरा सुस्ता लो
चलना तो है ताउम्र
गाँव है तुम्हारा
पर यह शहर भी तो नहीं है बेगाना
खून पसीने से सींचा है
आसरा और रोजी-रोटी का है सहारा
तब मत जाओ
अब तो रूक जा
जरा ठहर जा
वो मुसाफिर
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