वायरस तो वायरस है
उसका तो कोई जात पात न धर्म
उसका एक ही कर्म है
वह बीमार करना
फिर वह चाहे कोई मजहब का हो
जब अपनी गिरफ्त में ले लेता है
तब जानलेवा साबित होता है
इससे दूर रहना है
इसका यह मतलब नहीं
ईश्वर और खुदा से दूर होना
इबादत तो कहीं भी हो सकती है
सब करता ऊपरवाला
पर हमारी भी तो कुछ जिम्मेदारी
कुछ नियम पालने है
कुछ बातें टालनी है
यह ज्यादा दिन नहीं
कुछ दिन का मेहमान
वह भी बिन बुलाये
तब भगाना तो होगा
हर तरकीब लगानी होगी
ऊपरवाले से भी प्रार्थना करनी होगी
यह जल्द से जल्द जाए
हम तुम्हारे दर पर आए
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