प्रकृति से खिलवाड़
उसका है दुष्परिणाम
हर जीव जंतु को रहना है
पर अपने स्वाद की खातिर
इनका बनाता सूप
इन्हें भूनता
इन्हें तलता
इन्हें तडपाता
नमक मिर्च छिडक
स्वाद ले लेकर खाता
सैकड़ों व्यंजन
अलग अलग तरह से पकाकर
टेबल पर परोसा जाता
जीभ से चाटकर
दांतों से काटकर
चबा चबाकर पेट में डाला जाता
अब वह जागृत हो उठा है
आक्रमणकारी हो रहा है
समझ नहीं आ रहा
किस तरह इससे छुटकारा पाया जाय
पता नहीं चल रहा
किससे आ रहा है
फैल रहा है
कैसे रोके
काल बन खडा है
यह करोना है
क्या क्या करें
कौन सा उपाय करें
यह पीछा छोड़े
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